VO JO SAPANE DEKHATA THA

HE WHO DREAMED STORIES IS IMAGINARY

DREAMER

11/4/2025

कहानी शीर्षक - वो जो सपने देखता था

रवि नाम का एक साधारण लड़का था पर उसके मन में असाधारण सपने थे वह एक छोटे से कस्बे में रहता था जहां गलियाँ तंग थीं मगर उसके इरादे खुले आसमान से भी बड़े, बचपन से रवि के घर की हालत बहुत अच्छी नहीं थी पिता एक कारखाने में मजदूर थे और माँ घर संभालती थीं मगर रवि को भरोसा था कि एक दिन वह कुछ बड़ा करेगा घर खरीदेगा, बाइक लेगा, और अपने परिवार को खुशियां देगा,हर रात वह अपनी आँखों में वही सपने बुनता, एक साफ-सुथरा घर, जहां उसकी माँ हँसते हुए पूजा करती हों, और एक नई चमचमाती बाइक जिस पर वह अपने दोस्तों के साथ घूमे, मगर हर सुबह जब सूरज उगता, उसके सपने किसी धुएँ की तरह बिखर जाते,

रवि मेहनती था सुबह छह बजे उठकर ट्यूशन पढ़ाने जाता, फिर कॉलेज और शाम को एक दुकान पर काम करता पैसे जोड़ता, मगर हर बार कोई न कोई मुसीबत सामने आ जाती कभी माँ बीमार हो जातीं, कभी पिताजी की नौकरी चली जाती। उसका सपना जैसे हर बार उसके सामने आकर मुस्कुरा कर मिट जाता,एक रात उसने खुद से सवाल किया, मेरे ही साथ ऐसा क्यों होता है? मैं मेहनत करता हूँ, फिर भी सब अधूरा क्यों,वो रात बहुत भारी थी। वह अपनी छत पर बैठा आसमान देख रहा था चाँद की ठंडी रोशनी जैसे उसके चेहरे का दर्द पढ़ रही थी तभी उसके बुजुर्ग पड़ोसी शर्मा अंकल वहाँ आ गए उन्होंने रवि से पूछा, “बेटा, क्या सोच रहा है रवि बोला, अंकल, मैं जो चाहता हूँ, वो कभी होता नहीं,लगता है

ऊपरवाला मुझसे नाराज़ है शर्मा अंकल मुस्कुराए उन्होंने कहा, “बेटा, पेड़ जब फल देने वाला होता है, तब सबसे ज़्यादा तूफान से हिलता है ईश्वर जब किसी को आगे बढ़ाना चाहता है, तो पहले उसकी परख लेता है,उनके ये शब्द रवि के मन में बीज की तरह गिर गए अगले दिन रवि ने नया जोश लेकर काम शुरू किया उसने यह ठान लिया कि अब वह हार नहीं मानेगा, चाहे वक्त कैसा भी हो,दिन बीतते गए, और धीरे-धीरे उसने थोड़े-थोड़े पैसे जमा करने शुरू किए। मगर तभी एक बार फिर उसका पुराना कंप्यूटर खराब हो गया, जिसे वह अपने छोटे-से ऑनलाइन काम के लिए इस्तेमाल करता था पैसे का नुकसान हुआ वह टूट गया, पर अब पहले जैसा हार मानने वाला रवि नहीं था उसने पास के साइबर कैफे में काम पकड़ लिया। वहाँ उसने डिजिटल मार्केटिंग सीखना शुरू कर दिया। उसे एहसास हुआ कि सपनों का सच होना सिर्फ मेहनत से नहीं आता, बल्कि सही दिशा और समझ से आता है कुछ महीनों बाद उसने फ्रीलांस काम शुरू किया। वह देर रात तक जागता, नई स्किल सीखता,

प्रोजेक्ट्स पर मेहनत करता धीरे-धीरे उसका काम चल निकला,एक दिन, उसकी पहली बड़ी पेमेंट आई - पचास हजार रुपये, वही रवि जो कभी बाइक खरीदने का सपना देखता था, अब असली कदम उठाने के काबिल हो गया था मगर उसने बाइक नहीं खरीदी। उसने माँ से कहा, पहले ईएमआई बंद करते हैं, फिर घर की रिपेयर करेंगे माँ की आँखों में आँसू थे, गर्व के आँसू दो साल बाद, रवि ने सचमुच वही किया जो कभी उसके लिए अधूरा सपना था उसने अपना पहला छोटा घर खरीदा। दीवारों पर उसके हाथों से रंग किया गया था, और छत पर वही पुराना चाँद मुस्कुरा रहा था लेकिन अब रवि की सोच बदल चुकी थी। उसे समझ आ गया कि सपनों का टूटना, दरअसल उनका मजबूत होना होता है हर

असफलता उसे यह सिखा रही थी कि कभी-कभी वक्त हमें नहीं रोकता, बल्कि तैयार करता है अब जब कोई उससे पूछता कि तेरे इतने सपने अधूरे क्यों रहते थे तो वह मुस्कुरा कर कहता, क्योंकि मेरे सपनों की डिलीवरी में ऊपरवाले की तैयारी चल रही थी,वो लड़का जो कभी सोचता था कि उसकी मेहनत का फल नहीं मिलता, अब खुद कई बच्चों को फ्री में डिजिटल ट्रेनिंग देता है वो उन्हें वही बात समझाता है जो उसने शिकारी वक्त से सीखी थी सपना टूटे तो मत डरना, क्योंकि सपना टूटा मतलब कहानी बाकी है उस दिन जब रवि ने पुरानी बाइक की दुकान से अपनी पहली बाइक खरीदी, तो उसकी आँखों से आँसू अपने आप बह निकले। उसने आईने में खुद को देखा और कहा,
अब समझ आया, मेरे सपने अधूरे नहीं थे, बस अधूरे मैं थाऔर उस पल, उसका हर अधूरा सपना पूरा हो गया.

कहानी 2 शीर्षक - टूटा हुआ दीपक फिर भी जलता रहा

अर्जुन एक युवा लड़का था, उम्र लगभग 25 साल, जो गाँव से निकलकर शहर में अपने सपने पूरे करने आया था उसके आंखों में चमक थी और दिल में उम्मीदों का समंदर,लेकिन अर्जुन की जिंदगी में कई बार ऐसा आया जब उसके सपनों के दीपक की लौ बुझने लगी उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी कॉलेज की फीस देना मुश्किल था, और रोज़गार पाने के लिए वह दिन-रात मेहनत करता था उसने कई बार नौकरी के लिए आवेदन किया, मगर

नाकामयाबी ही हाथ लगी, हर झटका उसे थोड़ा अउर टूटने पर मजबूर करता, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी,अर्जुन का एक बड़ा सपना था अपना एक छोटा-सा व्यवसाय शुरू करने का उसने अपने बचत के पैसों से एक छोटी दुकान खोली, जहाँ वह मोबाइल फोन के पुर्जे बेचता था शुरुआत में ग्राहक कम थे, वेतन कम था, लेकिन वह दिन-रात मेहनत करता रहा,एक दिन दुकान के कागजात खो जाने की वजह से उसे भारी जुर्माना और पेनल्टी का सामना करना पड़ा, उसकी सारी बचत एक ही बार में खत्म हो गई, कई रातें वह सो नहीं पाया, सोचता रहा कि अब क्या करेगा लेकिन उसकी माँ ने उसे समझाया, बेटा, दीपक अगर गिरकर टूट जाता है, तो उसे फेंकना नहीं चाहिए,

बल्कि उसे सावधानी से उठाकर फिर से जलाना चाहिए। जीवन में भी ऐसा ही होता है यह बात अर्जुन के दिल तक जा पहुंची उसने हार मानने के बजाय, एक नया रास्ता खोजा ऑनलाइन मार्केटिंग और डिजिटल बिक्री सीखकर उसने अपने छोटे व्यवसाय को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। संघर्ष ने उसकी सोच को मजबूत किया था समय के साथ, अर्जुन ने न केवल अपनी दुकान को ऊँचा स्थान दिया, बल्कि अपने गाँव के कई युवाओं को ट्रेनिंग देकर उनके सपनों को सच करने में मदद भी की उसने समझा कि सपने टूटते नहीं, उन्हें सही दिशा और साथ की जरूरत होती है

आज अर्जुन का नाम शहर में एक सफल व्यापारी के रूप में जाना जाता है, लेकिन जो सबसे बड़ी सफलता है वह है जीवन के हर तूफान के बीच अपने दीपक को जलाए रखना.

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