मशहूर लव

मशहूर लव की कहानी कुछ ऐसे हो सकती है यह सब कल्पनिक कहानिया है मशहूर लव फिल्म जल्द ही आ सकती है

कहानी आगाज़

सीन 1. आगाज़

2.कहानी- हल्की बर्फ गिर रही है। कैमरा एक पहाड़ी रास्ते पर चलता है एक लड़का कैमरा गले में टाँगे धीरे-धीरे चलता है ये है आरव मुंबई का फोटोग्राफर,

वॉयस ओवर,आरव
कभी-कभी शहर की भीड़ में दिल खाली हो जाता है इसलिए मैं यहाँ चला आया शायद खुद को ढूँढने,

सीन 2. मुलाक़ात

आरव एक छोटी ढाबे जैसी जगह पर चाय पी रहा है वहीं एक लड़की आती है मीरा, पहाड़ी गाइड, सादे कपड़े, पर मुस्कान बहुत गहरी,

मीरा,हँसते हुए

यहाँ नए लोग जल्दी खो जाते हैं। पर घबराओ मत, मैं रास्ता दिखा दूँगी,

आरव,मुस्कुरा कर
रास्ते ढूँढने आया हूँ, पर शायद खुद भी खो गया हूँ दोनों की नज़रें मिलती हैं। पहली बार बर्फ़ के बीच कुछ गर्म महसूस होता है,

सीन 3. दोस्ती

बर्फ़ में चलते हुए दोनों हँसते हैं, तस्वीरें खींचते हैं, बातें करते हैं मीरा उसे अपने गाँव के किस्से सुनाती है, आरव अपने टूटे हुए रिश्ते की बातें,

मीरा
लोग कहते हैं ‘लव लेक’ के किनारे जो किसी को याद करता है उसका प्यार लौट आता है,

आरव,मजाक में
तो फिर तुम वहाँ जाओगी,

मीरा धीरे से
शायद कोई लौट आए आरव उसे देखता है उसकी आँखों में एक पुराना दर्द है,

सीन 4. रहस्य

एक रात आरव देखता है कि मीरा अकेली झील के पास बैठी है, एक पुरानी फोटो देख रही है और आँसू गिर रहे हैं वो फोटो में एक लड़का है आदित्य।,

मीरा ,धीरे से
वो तूफ़ान में चला गया और मैं यहीं रह गई,

आरव,मन में

क्या मैं किसी ऐसी से प्यार कर रहा हूँ जो अब भी किसी और के लिए रोती है?,

सीन 5. इज़हार

बर्फ़ का तूफ़ान आता है। सब कुछ धुँधला मीरा फिर से लव लेक, की ओर भागती है। आरव उसके पीछे-पीछे,

आरव,चिल्लाते हुए
मीरा, तुम अतीत में जी रही हो पर मैं तुम्हारे आने वाले कल में रहना चाहता हूँ मीरा रुकती है आँसू में मुस्कुराती है,

मीरा
कभी-कभी ज़िंदगी हमसे वो लोग छीन लेती है जिन्हें हम चाहते हैं ताकि हमें वो दे सके जिससे हमें मिलना लिखा था। दोनों एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बर्फ़ गिरती है। सब कुछ सफ़ेद हो जाता है,

सीन 6. सुबह

आरव उठता है। मीरा कहीं नहीं है बस एक डायरी पड़ी है। वो खोलता है,आखिरी पेज पर लिखा है मैं मीरा नहीं,मैं तुम्हारी तस्वीरों का अहसास हूँ तुमने जिसको कैमरे में ढूँढा, वो खुद तुम्हारा दिल था आरव की आँखों में आँसू हैं पर चेहरा मुस्कुराता है,

सीन 7.अंत

मुंबई की आर्ट गैलरी दीवार पर फोटो लगी हैं “The Reason I Met You” नाम की सीरीज़
हर फोटो में बर्फ़, झील और आरव है लोग कहते हैं कि कुछ फोटो में एक लड़की की परछाई दिखती है (लेकिन कोई मानता नहीं कि वो असल में थी).

दिल्ली की एक ठंडी सुबह थी

1.कहानी- सूरज बादलों के पीछे छिपा था, और हल्की फुहारें गिर रही थीं अवनी, एक 26 वर्षीय लेखिका, अपने छोटे से किराए के कमरे में बैठी थी टेबल पर अधूरी किताबें, कॉफी का मग और कुछ पुराने खत रखे थे वो खत राघव के थे,उसके कॉलेज के दिनों का प्यार, जो पिछले पाँच सालों से कहीं चला गया था,अवनी के लिए राघव कोई साधारण इंसान नहीं था। वो उसकी प्रेरणा था उसकी हर कविता की पहली लाइन दोनों की मुलाकात कॉलेज की लाइब्रेरी में हुई थी राघव एक साइंस का छात्र था, लेकिन उसे कविताएँ पढ़ने का अजीब सा शौक था वो हमेशा कहता,

प्यार और विज्ञान में एक चीज़ कॉमन है दोनों का सबूत नहीं होता, बस भरोसा चाहिए

उनकी दोस्ती जल्दी ही गहरी मोहब्बत में बदल गई राघव और अवनी दोनों एक-दूसरे के सपनों का हिस्सा बन चुके थे लेकिन किस्मत को शायद कुछऔर ही मंज़ूर था कॉलेज खत्म होते ही राघव को विदेश में रिसर्च का ऑफर मिला वो कह गया सिर्फ कुछ साल की बात है अवनी, फिर हमेशा के लिए तुम्हारा हो जाऊँगा अवनी ने उस दिन रोते हुए

उसे विदा किया उसने राघव को एक खत दिया जिसे राघव ने बिना खोले अपने बैग में रख लिया समय बीतता गया। पहले तो मेल आए, फिर कॉल्स, फिर सिर्फ एक मैसेज मुझे थोड़ा वक्त दो,और उसके बाद सन्नाटा अवनी ने इंतज़ार किया, महीनों तक, सालों तक वो खत जो उसने लिखा था, उसे अब याद भी नहीं था कि उसमें क्या लिखा था बस इतना याद था कि उस खत में राघव के लौटने की दुआ थी पाँच साल बाद, एक दिन दरवाज़े पर दस्तक हुई डाकिया एक लिफ़ाफ़ा लेकर आया। उस पर लिखा था

“अवनी के लिए, राघव की ओर से” हाथ काँपने लगे। दिल धड़कने लगाउसने लिफ़ाफ़ा खोला। अंदर एक खत था, और साथ में एक पुरानी तस्वीर दोनों की कॉलेज वाली 'खत में लिखा था अवनी,जब ये खत तुम्हें मिले, तब शायद मैं उस जगह पर न रहूँ जहाँ से लौटना मुमकिन हो ज़िंदगी ने मुझसे वो वक़्त छीन लिया जो मैं तुम्हें देना चाहता था मुझे कैंसर हुआ था, और डॉक्टरों ने कहा कि बस कुछ महीने हैं मैं तुम्हें बताना चाहता था, पर डरता था कि तुम्हारी आँखों का

भरोसा टूटजाएगा इसलिए चला गया ताकि तुम्हारी यादों में हमेशा वो राघव रहूँ जो हँसता था, जो तुम्हें मुस्कुराना सिखाता था वो नहीं जो कमजोर हो गया था तुम्हारा लिखा पहला खत, अब भी मेरे पास है, मेरी हर रात उसी के साथ गुज़री उस में तुमने लिखा था ‘अगर कभी खो जाऊँ, तो खुद को मेरी दुआओं में ढूँढ लेना अवनी, मैं हर रात तुम्हारी दुआओं में था। बस अब विदा का वक्त है तुम्हारा,राघव

अवनी की आँखों से आँसू झरने लगे उसने खत सीने से लगाया, जैसे वही उसका आख़िरी सहारा हो वो बालकनी में गई, आसमान की ओर देखा बादलों के बीच उसे ऐसा लगा जैसे कोई मुस्कुरा रहा हो। उसने धीरे से कहा,तुम लौट आए राघव,बस एक और रूप मेंकई महीने बाद,अवनी ने अपनी नई किताब प्रकाशित की “वो आख़िरी खत” नाम से उसकी पहली लाइन थी कभी-कभी प्यार हमें छोड़ने नहीं जाता, वो बस किसी और जगह से हमें देखता रहता है किताबबेस्टसेलर हुई लोग कहते हैं, जब अवनी अपने सेशन में किताब पढ़ती है तो उसके बगल की कुर्सी हमेशा खाली रहती है और वो कुर्सी हमेशा राघव की कहलाती है

सीख (Message)

सच्चा प्यार हमेशा पास नहीं होता
पर उसकी मौजूदगी हर दुआ, हर याद, हर साँस में महसूस होती है कभी-कभी “खत्म हो जाना” भी एक अमर कहानी की शुरुआत होता है.

कहानी का नाम ,सफ़र के पीछे

3.कहानी- दिल्ली की गर्मियों के आख़िरी हफ्ते थे यातायात की आवाज़ औ लोगों की भीड़ में भी निहाल अक्सर अकेलापन महसूस करता था। वो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था,पर उसके सामने हमेशा एक छोटी सी खिड़की रहती,कैमरे की। उस खिड़की से वह दुनिया के रंगों को पकड़ता और अपनी नोटबुक में किन्हीं अनकहे लफ़्ज़ों को दर्ज कर लेताएक दिन ऑफिस की ट्रेन में उसकी मुलाक़ात रिया से हो गई, एक स्वतंत्र फिल्म एडिटर, जो अपने छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स के लिए शहर-शहर घूमती थी रिया की हँसी में हल्की सी उछलन थी और आँखों में

कुछ वही बेचैनी थी जो निहाल के अंदर थी। दोनों की बातों का सिलसिला वैसा ही शुरू हुआ जैसा आम यात्रियों में होता है मौसम ट्रेन देरी कॉफ़ी की दुकानें पर उनसे कुछ अलग यह था कि दोनों की बातें जल्दी ही किताबों, फ़िल्मों और ख़ुद की छोटी-छोटी खामोशियों तक पहुँच गईं, निहाल ने देखा कि रिया हर रात एक पुरानी सड़कों पर जाकर छोटी-छोटी क्लिप बनाती है लोग, लम्हे, दिवारों पर पड़े नोट। वह बताती मैं

उन कहानियों को जोड़ती हूँ जिन्हें लोग अनसुना कर देते हैंनिहाल ने महसूस किया कि रिया की आँखें उन अनसुनी कहानियों को बहुत प्यार से देखती हैं ठीक वैसे ही जैसे वह कैमरे से रोशनी को देखता था धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी हुई रविवार की शाम को दोनों किसी भी गली में अनायास मिल जाते

रिया अपनी कैमरा-ड्राइव पर, निहाल हाथ में स्केचबुक लिए रिया ने निहालको अपने छोटेसे प्रोजेक्ट के लिए माँगा एक शॉर्ट फिल्म जिसमें शहर की पुरानी दुकानों के मालिकों की कहानियाँ हों। निहाल ने ख़ुशी-ख़ुशी काम किया स्केच किए लोकेशन सुझाई और रात-रात भर कटते हुए फुटेज के साथ बैठा रहाकाम के दौरान उन्होंने एक-दूसरे के गहरे हिस्से देखे रिया ने बताया कि उसके पिता को एककार एक्सीडेंट में खो दिया था और वह अक्सर खुद से पूछती कि अगर उसने थोड़ा और समय निकाला होता तो क्या बदल जाता। निहाल ने अपनी बात बताई पिता की उम्मीदों के बीचउसने फ़ोटोग्राफी को भी जीना-मारना सिखा लिया था पर कभी-कभी उसे डर लगता कि सच में वह वही कर रहा है जो चाह रहा था या सिर्फ़ वही जो बचा थाशॉर्ट फिल्म की शूटिंग के आख़िरी दिन, दोनों एक छोटी सी किताबों की दुकान पर रुके दुकान के मालिक ने पूछा

तुम लोग इतनी देर तक क्या करते हो रिया मुस्कुराई और बोली कहानियाँ ढूँढते हैं निहाल ने अचानक रिया का हाथ पकड़ लिया न तो नाटक, न किसी मज़ाक के लिए बस एक सरल, सच्चा इशारा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ, रिया की आँखों में तेज़ चमक आई और वह बोली मैं जानती थी कि तुम समझोगे फिल्म रिलीज़ हुई औरछोटे सिनेमा समिट में उसे सराहना मिली। निहाल और रिया की दोस्ती अब सबकी नज़र में थी, पर दोनों इसे एक खूबसूरत समझौते की तरह जिए बिना जल्दी के, बिना किसी बड़ी शर्त के वे साथ में छोटी यात्राएँ करते, पुराने इलाक़ों में फुटपाथ पर बैठकर बातचीत करते और रातों को खुली छतों पर तारों की गिनतीकरते। हर छोटी याद उनके बीच एक पुल बनाती गई एक शाम जब मानसून की हल्की-सी बारिश थी रिया को विदेश से एक प्रोजेक्ट ऑफर आया, तीन महीनों का फ़ेल्ड वर्क जिसकी वजह से उसे तुरंत जाना होगा निहाल केमन में तुरंत डर दौड़ा

क्या कहीं यह दूरी सब कुछ बदल देगी? पर उसने अचानक अपनी पुरानी हिम्मत जगाई और कहा तुम जाओ। मैं तुम्हें इंतज़ार करूँगा रिया के चेहरे पर आश्चर्य और मुस्कान मिक्स थी “तुम्हें भी मुझे देखना होगा मेरी खाली जगह परउसने कहा तीन महीने बाद रिया लौटी उसके हाथ में अनुभव, आँखों में नई कहानियाँ थीं।निहाल ने उसे स्टेशन पर लिया और दोनों चुपचाप एक दूसरी को देखते रहे उन लम्हों का कोई शोर नहीं था, बस एक गहरा चैन। रिया ने कहा वहाँ मैंने एक पुरानी कहानी देखी दो लोग जो मिल कर शहर को बचाते हैं निहाल ने हँस कर जवाब दिया हम भी किसी दिन ऐसा करेंगे रिया ने उसकी तरफ़ मुड़ कर कहा क्यों न आज से ही शुरू करें?उसी रात, निहारिका दोनों के बीच की छोटी-सीगुफ़्तगू खत्म हुई निहाल ने रिया को शहर की एक पुरानी छत पर जाकर बताया कि उसने एक किनारे वाली दुकान ली है,

जहाँ वह एक छोटी-सी गैलरी खोलेगा फ़ोटो और रिया की फिल्मों को साथ में दिखायाजाएगा रिया की आँखें चमकीं हम दोनों की कहानियाँ एक साथ होंगी उन्होंने मिलकर गैलरी की तैयारी शुरू की पुरानी दीवारें रंगीं, चारों ओर रोशनी लगी और एक छोटी सीट रखी गई दोनों के लिए एक साझा जगह गैलरी के उद्घाटन के दिन, कुछ लोग आए, कुछपुराने दोस्त, और कुछ अनजाने। निहाल ने अपने कैमरे से रिया की ओर देखा और इस बार कैमरा केवल एक दस्तावेज़ नहीं था वह प्यार का साक्ष्य बन चुका था। रिया ने कार्यक्रम में कहा कहानी

वहाँ नहीं रुकती जहाँ लोग चले जाते हैं कहानी तब रहती है जब लोग उसे साझा करते हैं निहाल ने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आँखों में धन्यवाद और प्यार था रात के आख़िर में, जब गैलरी बंद हुई, दोनों छत पर खड़े थे निहाल ने धीमे से कहा तुमने मुझे दिखाया कि कहानियाँ सिर्फ़ सुनाई नहीं जाती, उन्हें जिया जाता है रिया ने मुस्कुराते हुए कहा और तुमने मुझे सिखाया कि सुरक्षित जगह वही है जहाँ तुम्हारा कैमरा और तुम्हारा दिल के साथ टिके वे एक-दूसरे के करीब आए इस बार कोई वादा नहीं, बस एक नया आरम्भ एक साथ का सफ़र जो अब पीछे नहीं मुड़ेगा

संदेश: कभी-कभी प्यार इतना सरल और स्थायी होता है कि उसे न बड़े शब्द चाहिए, न बड़ी कसमें बस एक साथ चलने का वादा ही काफी होता है.

SLIONRAJA STUDIO