SAPNA HAI YA HAKEEKAT
IS THIS A DREAM OR REALITY STORIES IS IMAGINARY
DREAMERLOVE
11/9/2025
भाग 1 – सपना या हकीकत (STORY BASED IN MORADABAD ,UTTAR PARDESH)
मुरादाबाद के पुराने शहर के एक मोहल्ले में आर्यन नाम का लड़का रहता था दिन में वह एक साधारण कॉलेज छात्र था, पर रातें उसके लिए कुछ और ही होती थीं जब भी वह अपनी आँखें बंद करता, उसके सपनों की दुनिया में वही एक लड़की आती पीले सूट में लिपटी, चेहरे पर हल्की मुस्कान, और आँखों में ऐसी चमक जो किसी दीपावली की रात को भी फीका कर दे,पहली बार ये सपना आर्यन को तब आया जब वह 18 साल का था। उसने देखा, पुरानी गंगा किनारे की पगडंडी पर वो लड़की खड़ी ह बस एक झलक मिली और सपना टूट गया कुछ दिनों तक उस चेहरों को भूलने की कोशिश करता रहा, पर कुछ ही रातों बाद फिर वही सपना
वही लड़की, वही पीला सूट, बस इस बार उसने मुस्कराकर कहा, महफूज़ रहना आर्यन की नींद टूटी तो उसका दिल जोरों से धड़क रहा था धीरे-धीरे ये सिल-सिला लंबा चलता गया कभी वह लड़की एक पुराने हवेली के आँगन में दिखाई देती, कभी मंदिर के सीढ़ियों पर, और कभी पुराने बाज़ार की गलियों में, हर बार वही पीला सूट, वही रहस्यमयी मुस्कान आर्यन को लगने लगा कि शायद यह कोई इशारा है एक शाम, जब वह जमना नदी के किनारे बैठा था, उसे महसूस हुआ कि वही चेहरा उसके पास खड़ा है घबराकर उसने पूछ लिया, “तुम कौन हो” लड़की मुस्कराई और बोली, मैं वही हूँ, जिसे तुमने सपनों में बनाया है लेकिन मैं तुम्हारी यादों में बहुत पहले से हूँ और फिर हवा का झोंका आया, पत्ते उड़े, और वो गायब हो गई,अगली सुबह आर्यन अपने सपनों की बात लेकर मुरादाबाद की पुरानी हवेली पहुँचा जो उसने अपने सपनों में देखी थी। अंदर एक पुरानी तस्वीर लगी थी वही लड़की, वही पीला सूट, पर तस्वीर के नीचे लिखा था
“अनामिका वर्मा (1947 – 1965)”उस दिन आर्यन को समझ आया कि वो उसे प्यार तो अपने सपनों में कर रहा था, लेकिन शायद उसका कोई अधूरा किस्सा पूरा करने के लिए वो आत्मा बार-बार उसके सपनों में आती थी अब हर साल बसंत के मौसम में, आर्यन गंगा किनारे पीला फूल लेकर जाता है और कहता है अनामिका, मैं अब भी तुम्हारे सपने देखता हूँ
भाग 2 – अधूरी तस्वीर
उस रात आर्यन को फिर सपना आया इस बार अनामिका ने वही पीला सूट नहीं पहना था उसने सफेद कपड़े ओढ़ रखे थे और कहा, आर्यन, हवेली का पिछला दरवाज़ा खोलो वहाँ मेरा सच दफ़न है अगली सुबह आर्यन फिर उसी हवेली पहुँचा, हवेली के पिछले हिस्से की दीवार पर एक पुराना पत्थर निकला हुआ था उसे हटाया तो अंदर एक छोटी सी डायरी मिली अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में लिखी हुई, तारीख़ थी 1965। डायरी की आख़िरी लाइन पर लिखा था अगर मैं ना लौट पाऊँ, तो मेरा इंतज़ार वही करेगा जो मुझे सच्चाई से ढूंढेगा आर्यन का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा अब वह किसी रहस्य का हिस्सा बन चुका था,
भाग 3 – गंगा का किनारा
डायरी में लिखा था कि अनामिका उस दौर में एक चित्रकार थी, जिसे मुरादाबाद में एक अंग्रेज़ इंजीनियर से प्रेम हो गया था उनके बीच समाज ने इतनी दीवारें खड़ी कर दीं कि दोनों को एक साथ जीना नसीब नहीं हुआ एक जगह लिखा था अगर मैं गंगा किनारे कभी न लौट पाऊँ, तो मेरी रूह वहीं ठहर जाएगी,आर्यन उसी रात गंगा किनारे पहुँचा, जहाँ चाँद की रोशनी पानी में फैल रही थी। आसमान में बादल घूम रहे थे, और अचानक हवा में वही पीले फूल की खुशबू आई उसे लगा जैसे कोई पास खड़ा है धीरे से उसने कहा, अनामिका हवा कांपी, और पानी की सतह पर उसी लड़की का चेहरा उभर आया। उसने कहा, “तुम्हारा प्रेम अधूरा नहीं रहेगा आर्यन पर मुझे मोक्ष तभी मिलेगा जब तुम मेरा चित्र पूरा कर दो जो मैंने 1965 में अधूरा छोड़ा था,
भाग 4 – अधूरा चित्र
आर्यन ने डायरी के पन्नों में खोजा उसमें अनामिका का अधूरा चित्र था, बस उसकी आँखें बनी थीं, चेहरा अधूरा था। उसने तय किया कि वह उसी जगह बैठकर चित्र पूरा करेगा जहाँ अनामिका की आत्मा ने उसे पुकारा था उसने हफ़्तों तक चित्र बनाया, हर रेखा में उस सपने वाली लड़की का चेहरा उकेरा जब आख़िरी रंग लगाया, अचानक हवा थम गई। एक धीमी रोशनी हवेली की ओर गई और अनामिका की मुस्कान जैसे चित्र से निकलकर गंगा में उतर गई आर्यन ने महसूस किया कि उसके सपने अब ख़ामोश हो चुके हैं अब उसे नींद तो आती थी, पर कोई पीले सूट वाली लड़की नहीं आती थी। पर जब भी वो चित्र को देखता, लगता जैसे वो मुस्करा रही हो जैसे कह रही हो, अब मैं शांति में हूँ,
भाग 5 – नए सफ़र की शुरुआत
चित्र पूरा होने के बाद, आर्यन की ज़िंदगी में धीरे-धीरे बदलाव आने लगे। अनामिका की आत्मा की शांति मिलते ही आर्यन के सपनों में अब पीले सूट वाली लड़की नहीं आती थी, लेकिन उसकी यादें और अनामिका का चित्र हमेशा उसके दिल के करीब थे आर्यन ने महसूस किया कि अब उसके लिए भी जीवन का नया अध्याय शुरू हो चुका है उसने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और मुरादाबाद में ही एक कला केंद्र खोल दिया,
जहाँ वह अनामिका की तरह चित्र बनाता और दूसरों को भी सिखाता, लोग दूर-दूर से उसकी कला और अनामिका की कहानी सुनने आते,एक दिन, जब वह गंगा किनारे बैठा था, उसे महसूस हुआ कि अनामिका का संदेश पूरी तरह पूरा हो चुका है। वह अब न केवल खुद के लिए जी रहा था, बल्कि अपने सपनों को साकार करने के लिए भी प्रेरित था जैसे अनामिका ने उसे सपनों के रास्ते पर चलना सिखाया हो,आर्यन ने अपने जीवन को अनामिका के प्यार और उसके सपनों की यादों से सजाए रखा। वह जानता था कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, वह बस एक नयी दिशा ले लेता है.
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