LAKADHAARE KI IZZAT
THE LAKADHAARE STORIES IS IMAGINARY
WOODCUTER STORIES
10/20/2025
कहानी 1.लकड़हारे की इज़्ज़त
एक समय की बात है, घने जंगलों से घिरे एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक लकड़हारा रहता था वह रोज़ सुबह सूरज निकलने से पहले जंगल चला जाता और शाम तक लकड़ियाँ काटकर गाँव के चौपाल बाज़ार में बेचता उसकी पत्नी गौरी हर दिन मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाती, बच्चों की देखभाल करती और घर सँभालती थी उनकी ज़िंदगी सादी थी, लेकिन दिल साफ़ और मन सुकून से भरा था एक दिन, गाँव के ज़मींदार की नज़र रामू पर पड़ी उसने सोचा यह गरीब लकड़हारा दिन‑भर मेहनत करता है, लेकिन मुझे कोई फ़ायदा नहीं देता उसने रामू को बुलाकर कहा,आज से तू मेरी
ज़मीन से लकड़ी काटेगा और आधा हिस्सा मुझे देगा, वरना जंगल में कदम मत रखना रामू शांत स्वर में बोला, मालिक, लकड़ियाँ जंगल की हैं धरती सबकी माँ है, मैं केवल उतना काटता हूँ जितनी ज़रूरत है फिर भी अगर आप चाहें तो मैं आपकी इजाज़त से ही काम करूंगा ज़मींदार ने घमंड में कहा, देखते हैं तेरी अक़ल कब तक चलती है पर रामू चालाक था उसने तय किया कि अब सिर्फ़ पेड़ नहीं, पेड़ों की कीमत भी समझनी होगी उसने जंगल के सूखे तनों से सुंदर लकड़ी के खिलौने और दरवाज़े‑खिड़कियाँ बनाना शुरू किया उसकी पत्नी गौरी उन्हें रंग-बिरंगा सजाती। धीरे‑धीरे लोग उनके काम के दीवाने हो गए कुछ ही महीनों में, जो आदमी ज़मींदार की दहलीज़ पर झुकता था, वही अब गाँव में अपना छोटा‑सा लकड़ी का कारखाना चला रहा था। लोग उसे रामू कारीगर कहने लगे उसकी समझ, समय की पहचान, और हाथ का हुनर ने उसे अमीर बना दिया एक दिन वही ज़मींदार उसके कारखाने के सामने आया सिर झुकाए, बोला रामू, मुझे माफ़ कर दे, मैंने तुझे कम आंका था रामू मुस्कराया, मालिक दुनिया में लकड़ी और इंसान, दोनों तब तक बेकार हैं जब तक उन्हें सही आकार न मिले”
उस दिन से गाँव के सब लोग जान गए कि सम्मान हथियार या पैसा देखकर नहीं, समझदारी और मेहनत से मिलता है। और रामू लकड़हारा गाँव का सबसे आदरनीय आदमी बन गया
लकड़हारे की इज़्ज़त -भाग 2. दिल का लकड़हारा
हरे-भरे पहाड़ों और झरनों से घिरे एक गाँव में हर सुबह कुल्हाड़ी की टक‑टक के साथ जीवन की कहानी लिखी जाती थी। यह आवाज़ रामू लकड़हारे की थी एक सीधा‑सादा आदमी जिसकी संपत्ति सिर्फ़ उसकी मेहनत और मुस्कान थी रामू की पत्नी गौरी माटी के चूल्हे पर रोटियाँ सेंकती और जब उससे धुआँ उठता तो लगे जैसे भगवान के आरती के दीये जल रहे हों उनके दो छोटे बच्चे गुड्डू और रानी मिट्टी की गुड़िया से खेलते, और पिता का इंतज़ार करते
एक दिन, गाँव का ज़मींदार, जो अपने घमंड में चूर था, बोला,
रामू, तू जंगल का राजा मत बन! जो लकड़ी काटेगा, उसका आधा हिस्सा मुझे देगा”
रामू ने सिर झुकाया, पर आत्मा में आग लग गई घर आकर बोला,गौरी, आज मालिक ने हमारी मेहनत को खरीदने की कोशिश की है गौरी ने धीमी आवाज़ में कहा रामू, कोई हमारी किस्मत नहीं खरीद सकता पेड़ काटते-काटते तूने लकड़ी का नहीं, जीवन का गुर सीखा है अब तुझे मालिक नहीं, उस्ताद बनना है उस रात दोनों ने मिलकर योजना बनाई रामू ने लकड़ी से सुंदर झूले, चक्कियाँ और खिलौने बनाना शुरू किया
गौरी ने उन पर रंग भरे जैसे भगवान ने इंद्रधनुष रचा हो धीरे‑धीरे लोग जंगल की लकड़ी नहीं, रामू‑गौरी की मेहनत देखने आने लगे उनका नाम फैल चुका था उन्हें लकड़हारा परिवार कहकर नहीं लकड़ी के कलाकार कहकर पुकारा जाने लगा कुछ महीनों बाद वही ज़मींदार, जिसके आगे रामू कभी झुकता था, अब उसकी दहलीज़ पर खड़ा था बोला, रामू, क्या तेरा दिल मुझे माफ़ कर सकता है रामू मुस्कराया और बोला मालिक, मैंने पेड़ों से सीखा है जो नीचे गिरते हैं, वही मिट्टी को ताक़त देते हैं आपने मुझे गिराया, तभी मैं उठ सका उस दिन गौरी की आँखों में गर्व था, और रामू की आँखों में शांति। अब उनका घर सिर्फ़ लकड़ी का नहीं, प्यार और सम्मान का महल बन गया था
जहाँ मेहनत की महक और रिश्तों की गर्माहट दोनों बसते थे.
कहानी 2.लकड़हारा और उसका परिवार
इज्जत की कहानी ताल तलैया के किनारे बसे एक छोटे से गांव में मुन्ना नाम का एक लकड़हारा रहता था मुन्ना का एक छोटा परिवार था उसकी प्यारी पत्नी सीमा और तीन नटखट बच्चे रोज़ सुबह मुन्ना जंगल जाता, लकड़ियाँ काटता और शाम को घर लौटकर बच्चों को गोद में लेकर कहानियाँ सुनाता मुन्ना एक नेकदिल और समझदार इंसान था, लेकिन गांव के अमीर ज़मींदार हरदम उसके पैरों में नहीं देखता था एक दिन ज़मींदार ने धमकी दी मुन्ना, या तो मेरी बात माने या फिर जंगल से लकड़ियाँ काटना बंद कर दे
मुन्ना ने अपनी पत्नी से कहा, सीमा, हमें हार नहीं माननी तुम्हारे साथ और बच्चों के लिए मैं कुछ बड़ा करूँगा सीमा ने प्यार से हाथ थामते हुए कहा, “तुम समझदार हो, मेरी ताक़त तुमसे ही है मुन्ना ने लकड़ी के छोटे-छोटे खिलौने बनाने शुरू किए जनता ने उनके काम को सराहा और धीरे-धीरे मुन्ना का नाम गाँव में फैल गया। उसने अपने परिवार का सहारा लेकर कड़ी मेहनत की, अपनी बुद्धिमानी से नए रास्ते निकाले अमीरों की तुलना में वह ज्यादा समझदार साबित हुआ वक्त के साथ मुन्ना न केवल अमीर बना, बल्कि लोगों के दिलों में अपनी इज्ज़त भी बनाई लोग उसके परिवार की मिसाल देने लगे कि कैसे एक लकड़हारे ने अपनी मेहनत, परिवार के प्यार और समझदारी से दुनिया में अपना मुकाम बनाया,
लकड़हारा और उसका परिवार -भाग 2. सफलता की नई राहें
मुन्ना का लकड़ी का कारखाना धीरे-धीरे गांव के अलावा आसपास के कस्बों तक अपनी पहचान बनाने लगा सीमित साधनों के बावजूद, मुन्ना ने मेहनत और परिवार के सहारे अपनी जिंदगी संवारना शुरू किया सीमा अब केवल घर नहीं, बल्कि दुकान के काम में भी मुन्ना का साथ देती और बच्चों को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करती एक दिन गांव में बड़ी दुकान खोलने का मौका आया, लेकिन इसके लिए एक बड़े ज़मींदार की मदद चाहिए थी ज़मींदार ने कहा, मुन्ना, मैं तुम्हारी मदद करूंगा, पर एक शर्त है तुम मुझे अपने कारोबार का आधा हिस्सा दोगे मुन्ना ने समझदारी से जवाब दिया ज़मींदार जी,
आप हमारी मदद करें, यह खुशी की बात है, पर हमारा परिवार और मेहनत इस कारोबार की रूह है मैं साझेदारी चाहता हूँ, ना कि आधिपत्य इस जवाब ने ज़मींदार को सोचने पर मजबूर कर दिया आगे मुन्ना ने अपने परिवार के साथ मिलकर कड़ी मेहनत जारी रखी, व्यापार को नई दिशा दी उन्होंने अपने उत्पादों में गुणवत्ता और ईमानदारी रखी, जिससे उन्हें और भी ग्राहकों का भरोसा मिला मुन्ना का परिवार भी गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सामाजिक कार्यों में लग गया। उनकी कहानी हर व्यक्ति के लिए शिक्षा बन गई कि समझदारी, मेहनत और परिवार का सहारा बड़ी से बड़ी ताक़त है मुन्ना ने साबित कर दिया कि असली इज़्ज़त ना केवल पैसों से, बल्कि चरित्र और मेहनत से मिलती है और यह इज़्ज़त एक पूरे गाँव के लिए प्रेरणा बन गई
लकड़हारा और उसका परिवार भाग 3. नए सपनों की ऊँचाइयाँ
मुन्ना के बच्चे अब बड़े हो रहे थे गुड्डू और रानी स्कूल जाने लगे, लेकिन गांव में शिक्षा के संसाधन सीमित थे मुन्ना और सीमा ने फैसला किया कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और पढ़ाई दोनों देंगे ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें गुड्डू को पढ़ाई में मेहनत करनी थी, लेकिन वह अक्सर दोस्तों के साथ खेलने में ज्यादा व्यस्त रहता रानी को कला और संगीत का शौक था, और वह अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी
मुन्ना और सीमा ने बच्चों को समझाया कि सपने बड़े हों, तो मेहनत भी बड़ी करनी पड़ती है एक बार गांव का स्कूल बंद होने का खतरा आया। मुन्ना ने पूरे परिवार के साथ मिलकर गांव वालों को जागरूक किया उन्होंने एक समिति बनाई और जल्द ही स्कूल फिर से चालू हो गया इससे मुन्ना के बच्चों के साथ पूरे गांव के बच्चों का भविष्य सुरक्षित हुआ मुन्ना ने अपनी समझदारी और परिवार के समर्थन से बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया गुड्डू पढ़ाई में बेहतर हुआ और गांव के बाहर जाकर कॉलेज भी करने लगा रानी ने संगीत में अपनी पहचान बनाई
यह कहानी सिखाती है कि मेहनत, परिवार का साथ और शिक्षा से बड़े से बड़ा सपना पूरा हो सकता है। मुन्ना का परिवार अब गांव में सम्मान का प्रतीक बन चुका था, जिसने अपनी जड़ें गहरी कर नई पीढ़ी को संजोया.
SLIONRAJA STUDIO
© 2025. All rights SLIONRAJA STUDIO reserved.
CONTACT US ALL QUERIES