ADHOORA VAADA

THE PREM KAHANIYAA STORIES IS IMAGINARY

LOVE STORIES

10/20/2025

कहानी शीर्षक (अधूरा वादा)

बरसों पहले, उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव माधोपुर में अर्जुन और सिया बचपन के साथी थे दोनों के घर पड़ोसी थे अर्जुन के पिता किसान थे और सिया का पिता स्कूल में मास्टर। बचपन की शरारतों ने कब मोहब्बत का रूप ले लिया, दोनों को खुद भी नहीं पता चला सिया अक्सर खेत के किनारे वाले आम के पेड़ के नीचे अर्जुन का इंतज़ार करती अर्जुन उसे मिट्टी से बनी छोटी मूर्तियाँ और रंग बिरंगे फूल दिया करता उनकी आँखों में एक मासूम सपना पलने लगा था जिसमें बस एक-दूसरे का साथ था पर वक्त की चाल तेज़ थी अर्जुन का परिवार गरीब था, जबकि सिया के पिता अपनी बेटी की शादी शहर के एक सरकारी अफ़सर से तय कर चुके थे जब अर्जुन को यह खबर मिली उसका दिल जैसे टूट गया उसने एक शाम सिया से आम के पेड़ के नीचे कहा
मैं तुम्हें कभी जाने नहीं दूंगा, सिया चाहे दुनिया कुछ भी कहे

सिया की आँखों में आँसू थे पर उसके होंठ काँपते बोल पाए
अर्जुन, काश मोहब्बत से पेट भर जाता पर हमें परिवारों का भी तो ख्याल रखना है

शादी का दिन आया। सिया दुल्हन बनी, पर उसकी खुशियों पर उदासी की परत थी अर्जुन दूर खड़ा बस देखता रहा दोनों की आँखें मिलीं, पर किस्मत ने जैसे दीवारें खड़ी कर दी थीं शादी के कुछ साल बाद अर्जुन की गाँव में नई खेती की सफलता की चर्चा होने लगी पर सिया उस गाँव से बहुत दूर जा चुकी थी एक दिन डाक से अर्जुन को एक पत्र मिला अर्जुन, शायद हमारी ज़िंदगी में साथ नहीं, मगर यादों में तुम हमेशा रहोगे पत्र के नीचे लिखा था

तुम्हारी सिया बरसों बाद भी अर्जुन हर बसंत उस आम के पेड़ के नीचे बैठता है जहाँ मोहब्बत अधूरी रही पर सच्चाई और वफ़ा अब भी ज़िंदा है ,

अधूरा वादा - भाग 2. फिर से मिलीं यादें

जिसमें सिया और अर्जुन की कई सालों बाद की मुलाकात है

कई साल बीत चुके थे अर्जुन अब एक सफल किसान और गाँव का सम्मानित युवक बन चुका था उसने अपनी कठिन मेहनत से खेतों को हरियाली और खुशहाली से भर दिया था पर उस सफलता के बीच उसका दिल आज भी सिया के बिना खाली था सिया शहर में रहकर अपने जीवन को संभाल रही थी शादी के बाद कई दुख-सुख देखे थे लेकिन उसकी यादों में हमेशा अर्जुन की मुस्कान और उनकी बचपन की खुशियाँ बसती थीं एक दिन, गाँव में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ सिया के पति की नौकरी के कारण वे गाँव आए थे अर्जुन को पता चला तो वह कार्यक्रम में जाने का मन बनाए कार्यक्रम के दौरान, भीड़ में अचानक अर्जुन और सिया की नज़रें मिलीं दोनों के दिलों की धड़कन तेज़ हो गई। सालों की दूरी और जुदाई के बावजूद, उनकी आँखों में वही वहीरोशनी और बेचैनी थी,

अर्जुन धीरे से सिया के पास आया और बोला
सिया, तुम्हें देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वक्त थम गया हो

सिया की आवाज़ काँपी,अर्जुन, ज़िंदगी ने हमें अलग कर दिया, लेकिन दिल ने तुम्हें कभी भुलाया नहीं, वे दोनों एक कोने में बैठ गए, बातें शुरू हुईं बचपन की यादें, वह अधूरा वादा, और उनका जीवन सिया ने खुलकर बताया कि शादी ने उसे कितनी मजबूर कर दिया और हमेशा अर्जुन की यादें उसके दिल को छलनी करती रहीं अर्जुन ने कहा हमारा प्यार वक्त और हालातों से हार नहीं सकता शायद हमारे लिए वो जिंदगी उस रूप में नहीं थी पर हमारी दोस्ती हमारी यादें, हमेशा खास रहेंगी सिया की आँखों से आँसू छलक पड़े अगर हम फिर से मिल पाते, तो शायद सब कुछ अलग होता पर दोनों को यह भी समझ था कि उनके जीवन अब अलग राह पर हैं कार्यक्रम खत्म होने पर वे एक-दूसरे से विदा लेने लगे लेकिन इस बार वे वादे के साथ गए कि वो हमेशा एक-दूसरे के दिलों में रहेंगे चाहे दूर हों या पास अर्जुन ने एक फूल लिया और सिया के हाथ में थमाते हुए कहा
यह फूल हमारी दोस्ती का निशान, और यह वादा कि जो भी हो, हम कभी नहीं भूलेंगे,

सिया ने मुस्कुराते हुए उसका फूल संभाला,
“जीवन में जो अधूरा रहा, उसे यादों में पूरा रखेंगे”

दोनों ने दी दूर से आखिरी नजर, जो एक अनकहे प्यार की गवाही थी, जिसमें न केवल रोमांस था, बल्कि एक गहरा सम्मान और समझदारी भी,

अधूरा वादा - भाग 3. पारिवारिक संघर्ष और टूटते सपने

अर्जुन और सिया की उस यादगार मुलाकात के बाद उनकी ज़िंदगी में नया मोड़ आया अर्जुन ने सिया को अपने घर के सामने आने का न्योता दिया, जहां उसके परिवार वालों को भी इस बात का पता चल गया सिया के पति ने यह बात जानकर गुस्सा जताया और सिया के परिवार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। सिया के पिता भी अपनी बेटी की भलाई चाहते थे, इसलिए उन्होंने अर्जुन से दूर रहने को कहा, क्योंकि उनकी सोच में अभी भी सामाजिक प्रतिबंध ज्यादा थे अर्जुन ने परिवार की बात समझी, पर दिल चाहता था कि वह सिया के लिए लड़ सके। उसने अपने परिवार के सदस्यों को मनाने की कोशिश की, पर उनके

पुराने गांव के रीति-रिवाज और सामाजिक दवाब ने रास्ता नहीं दिया सिया की शादी में भी दरार आने लगी उसका पति बेरोजगारी और तनाव से जूझ रहा था और सिया की यादों ने उसके दिल को और भी बेचैन कर दिया। वह मजबूरी में अपने पति के लिए भी सहारा बनने लगी एक दिन सिया ने अर्जुन से बात की,हमारा प्यार आज भी सच्चा है, लेकिन जिम्मेदारियाँ हमें तोड़ रही हैं। हम दोनों को अपने-अपने परिवारों का सम्मान करना होगा अर्जुन दुःखी होकर बोला, शायद हम अपनी मोहब्बत को जिंदा रख नहीं पाए, लेकिन मैं तुम्हारे लिए हमेशा दुआ करता रहूँगा उनकी बातों में दर्द और प्यार दोनों के मेल थे। दोनों जानते थे कि साथ नहीं हो पाएंगे, लेकिन उनके दिल में हमेशा एक-दूसरे के लिए सम्मान और अपनापन रहेगा कहानी यहीं खत्म नहीं होती अर्जुन ने गाँव में एक स्कूल बनवाया, जहां वह बच्चों को पढ़ाता और सिया की याद में एक पुस्तकालय स्थापित किया सिया ने भी शहर में अपने घर को सजाया और अपने जीवन को फिर से संभाला

उनका प्यार अपनी-अपनी तरीक़े से ज़िंदा रहा, अधूरा मगर सच्चा,

अधूरा वादा - भाग 4. फिर से इक-दूजे के करीब

समय ने दो प्यार करने वालों के लिए कई रास्ते बदल दिए थे लेकिन दिलों की दूरी कभी पूरी नहीं हुई कई वर्षों बाद, सिया का पति बीमारी की स्थिति में गंभीर हो गया, जिससे सिया को शहर से बाहर एक छोटा सा गाँव वापस लौटना पड़ा इस गाँव में, जो अर्जुन का भी गाँव था, वो दोनों फिर से मिले उस मुलाकात ने दोनों के दिलों को एक नई उम्मीद की किरण दी अर्जुन ने सिया का ख्याल रखा, जो उस समय असहाय महसूस कर रही थी दोनों ने समझा कि वक्त ने बहुत कुछ बदला है, पर अब वक्त था ज़िंदगी को एक नया रंग देने का परिवारों ने उनकी

इस पुनर्मिलन को शुरू में स्वीकार नहीं किया पर अर्जुन ने अपनी मेहनत और ईमानदारी से परिवारों को मनाना शुरू किया उसने अपनी जमीन अपने गांव, और अपने दिल की क़सम खाई कि वह सिया की खुशी के लिए हर बाधा हटाएगा धीरे-धीरे, सिया के परिवार और गाँव के लोग इनके सच्चे प्रेम और समर्पण को समझने लगे एक दिन गाँव के मेले में, जहाँ पूरा गाँव जमा था, अर्जुन ने सिया के लिए लोक गीत गाया उनके प्यार की कहानी, उनके संघर्ष की दास्तां गाँव वालों की आंखों में आंसू थे, पर उनके दिल खुश थे पारिवारिक बंधन टूटे नहीं लेकिन समझदारी बढ़ी थी अंत में, सिया और अर्जुन को एक साथ रहने की अनुमति मिली। दोनों ने देखा कि जिस प्यार ने सदियाँ झेली हैं, वही प्यार उन्हें सच्चे सुख की ओर ले जाएगा उनकी कहानी याद दिलाती है कि सच्चा प्यार न केवल संघर्षों से लड़ता है, बल्कि परिवार की समझ और सम्मान को भी जोड़ता है

इस पुनर्मिलन से कहानी का एक सकारात्मक, लेकिन भावुक अंत होता है, जो प्रेम और सामाजिक बंधनों के संतुलन को दर्शाता है,

अधूरा वादा - भाग 5. रिश्तों की जटिलता और समझदारी

जब सिया और अर्जुन को मिलने की अनुमति मिली, तो उनकी ख़ुशी के साथ-साथ परिवारों में भी कई तरह की भावनाएँ उभरीं सिया के छोटे भाई, जो सोचता था कि शादीशुदा बहन का पुनर्मिलन गलत है, धीरे-धीरे अर्जुन की सच्चाई को समझने लगा। वह अर्जुन की ईमानदारी और भलाई देख कर उसने अपने दिल के दरवाज़े खोले अर्जुन की माँ, जो पहले बेटी सिया से दूर रहने को कहती थीं अब अपने बेटे की खुशी में खुद को तलाशने लगीं और समझीं कि प्यार में परिवार की स्वीकार्यता भी ज़रूरी है सिया और अर्जुन दोनों खुद भी अपनी ख़ुशियों के पीछे

परिवार के दर्द और कुर्बानी को समझ रहे थे उनकी बातचीत अब केवल प्यार की नहीं, बल्कि जिम्मेदारी, सहनशीलता और समझदारी की भी थी दोनों ने निर्णय लिया कि वे अपने रिश्तों में पारदर्शिता बनाएंगे, परिवार को भी साथ लेकर चलेंगे, ताकि कोई दिल-दुखी न हो इस बदलाव से गाँव में रिश्तों का माहौल धीरे-धीरे सकारात्मक हुआ प्यार, परिवार और समाज का यह संगम साबित करता है कि सही रिश्ता केवल दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी मेल होता है सिया और अर्जुन ने मिलकर एक सामाजिक संस्था बनाई, जो परिवारों के बीच प्रेम और समझ बढ़ाने का काम करती है ताकि अन्य जोड़ों को भी उनका संघर्ष कम देखना पड़े

इस गहराई से कहानी में न केवल प्रेम, बल्कि रिश्तों की जटिलता समझदारी और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा भी मिलती है,

अधूरा वादा - भाग 6. सामाजिक संस्था और नया अभियान

सिया और अर्जुन का पुनर्मिलन होने के बाद, उन्होंने अपने अनुभवों को समाज सेवा में बदलने का निर्णय लिया वे जानते थे कि प्रेम के रास्ते में आए पारिवारिक संघर्ष और सामाजिक बाधाएं कई लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करती हैं इसलिए उन्होंने गाँव में एक सामाजिक संस्था बनाई जिसका उद्देश्य प्रेम, समझदारी और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना था इस संस्था के माध्यम से वे परिवारों को संवाद और मेल-मिलाप का महत्व समझाते थे उन्होंने महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए कार्यशालाएँ चलाईं, ताकि वे अपने अधिकार जान सकें और पारिवारिक दबावों का सामना कर सकें,अर्जुन ने अपने खेतों को आधुनिक तरीकों से चलाना जारी रखा और वहां से आय का

अच्छा स्रोत बनाया सिया ने शहर से जुड़ी अपनी पहचान को मजबूत करते हुए शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर कार्य करना शुरू किया दोनों ने मिलकर इस संस्था को एक ऐसी जगह बनाया जहां प्रेम और परिवार के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास होता,उनकी संस्था ने स्थानीय स्कूलों, पंचायतों और महिलाओं के समूहों के साथ सहयोग किया उन्होंने सामाजिक जागरूकता अभियानों के द्वारा युवा पीढ़ी को प्रेम और सम्मान के सही मायने समझाए ,इस प्रकार, अर्जुन और सिया ने अपनी निजी कहानी को समाज की भलाई के लिए उपयोग किया और यह साबित किया कि संघर्ष के बाद भी उम्मीद, समझदारी और नए सपनों का निर्माण संभव है

यह विस्तार कहानी को न केवल रोमांस और दुख से जोड़ता है, बल्कि समाज में बदलाव और सुधार के सकारात्मक पहलू को भी उजागर करता है.

SLIONRAJA STUDIO