“तेरी खामोशी, मेरी धड़कन”

STORY

“तेरी खामोशी, मेरी धड़कन

  • अर्जुन 27 इंजीनियरिंग पढ़कर आया, पर अब आर्टिस्ट बनने की कोशिश कर रहा है। पेंटिंग करता है, पर अंदर से आत्म-संदेह से भरा।

  • रिया 25 म्यूट (बोल नहीं सकती), लेकिन उसकी आँखों और लिखावट में बहुत गहराई है। शहर में आकर बच्चों को सांकेतिक भाषा सिखाती है।

सीन 1 पहला सामना

मेट्रो स्टेशन। भीड़-भाड़ में अर्जुन की स्केचबुक गिर जाती है। रिया उसे उठाकर देती है, पर बोल नहीं पाती। वह हाथों से इशारे करती है। अर्जुन पहले समझ नहीं पाता, पर रिया अपने बैग से एक छोटा पैड निकालती है और लिखती है “तुम्हारी तस्वीरें बहुत खूबसूरत हैं।”
अर्जुन कुछ देर उसे देखता रह जाता है। पहली बार किसी अजनबी ने उसके काम की तारीफ़ की।

सीन 2 दोस्ती की परत

धीरे-धीरे, मेट्रो में रोज़-रोज़ मिलना आदत बन जाती है। अर्जुन नोटबुक साथ रखने लगता है, ताकि रिया से लिखकर बात कर सके। कभी-कभी रिया अपनी मुस्कान और हाथों के इशारों से भी कहानी कह देती है।
एक दिन अर्जुन पूछता है “तुम बोल क्यों नहीं पाती?”
रिया लिखती है“बोलने से नहीं, सुनने और महसूस करने से कहानी बनती है।”
यह जवाब अर्जुन को भीतर तक छू जाता है।

सीन 3 रंग और खामोशी

अर्जुन रिया को अपने आर्ट-स्टूडियो लेकर जाता है। वहाँ दीवारों पर अधूरी पेंटिंग्स हैं। अर्जुन कहता है, “जब तक सही प्रेरणा न मिले, रंग भी बिखरे लगते हैं।”
रिया ब्रश उठाती है और बिना बोले अर्जुन की अधूरी पेंटिंग पर हल्का-सा नीला रंग भर देती है। अर्जुन रुक जाता है पहली बार उसकी पेंटिंग उसे पूरी लगी।
उस रात अर्जुन नोटबुक में लिखता है“तुम्हारी खामोशी मेरी पेंटिंग का रंग बन रही है।”

सीन 4 अतीत का दर्द

रिया अर्जुन को अपने अतीत के बारे में बताती है (लिखकर) बचपन में एक हादसे में उसने अपनी आवाज़ खो दी। स्कूल में लोग उसका मजाक उड़ाते थे, इसलिए उसने चुप्पी को ही अपनी ताक़त बना लिया। अब वह चाहती है कि और बच्चे जो बोल नहीं सकते, वे आत्मविश्वास से जीना सीखें।
अर्जुन भी अपना सच बताता है उसने इंजीनियरिंग छोड़ी, परिवार नाराज़ है। सब कहते हैं कि “आर्ट से पेट नहीं भरता।” अर्जुन अकेला है, पर अब रिया के साथ उसे लगने लगा कि उसकी राह बेकार नहीं।

सीन 5 प्यार का एहसास

बारिश की रात। मेट्रो बंद हो जाती है, दोनों स्टेशन पर फँसे रहते हैं। रिया अपनी नोटबुक में लिखती है“कभी सोचा है कि अगर दुनिया से आवाज़ें गायब हो जाएँ तो लोग कैसे जिएँगे?”
अर्जुन लिखता है “शायद लोग आँखों और दिल से बात करना सीख जाएँगे। जैसे मैं तुमसे सीख रहा हूँ।”
रिया की आँखों में आँसू आ जाते हैं। पहली बार अर्जुन उसका हाथ पकड़ लेता है। उनकी खामोशी ही उनके इज़हार का तरीका बन जाती है।

सीन 6 संघर्ष

रिया को एक बड़े NGO से ऑफर मिलता है उसे विदेश जाना होगा, जहाँ वह बच्चों को साइन लैंग्वेज सिखा सकेगी। यह उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना है।
पर अर्जुन डरता है कि कहीं वह उसे खो न दे। वह कहता है, “मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगा।”
रिया लिखती है“अगर तुम सच में मुझसे प्यार करते हो, तो मेरी खामोशी को पंख बनाओ, बेड़ियाँ नहीं।”
अर्जुन टूट जाता है, पर समझता है कि प्यार का मतलब रोकना नहीं, उड़ान देना है।

सीन 7 निर्णायक मोड़

रिया विदेश जाने से पहले अर्जुन की आख़िरी आर्ट-एक्ज़िबिशन में आती है। वहाँ दीवार पर अर्जुन की सबसे बड़ी पेंटिंग लगी होती है एक लड़की जो कुछ कह नहीं पा रही, पर उसकी आँखों से पूरे रंगों की दुनिया निकल रही है। पेंटिंग का नाम “तेरी खामोशी, मेरी धड़कन।”
रिया पेंटिंग के सामने खड़ी होकर कांपते हाथों से लिखती है “अब मैं जहाँ भी रहूँगी, तुम्हारे रंग मेरे साथ होंगे।”

सीन 8 अंत खुला हुआ क्लाइमेक्स

रिया विदेश चली जाती है। अर्जुन खाली स्टूडियो में बैठा है, पर उसकी पेंटिंग्स अब अधूरी नहीं लगतीं। उसकी हर कला में रिया की मुस्कान, उसकी खामोशी, उसकी आँखों की चमक दर्ज है।
अंतिम दृश्य अर्जुन को एक पार्सल मिलता है। अंदर एक नोटबुक है जिसमें रिया ने पहली बार अपने हाथ से लिखा है (कठिन प्रैक्टिस से):
“मैं बोल तो नहीं सकती, पर तुम्हारे लिए शब्द लिखना सीख रही हूँ। इंतज़ार करना।”
अर्जुन की आँखों से आँसू बहते हैं, और कैमरा धीरे-धीरे पेंटिंग पर ज़ूम होता है।

थीम

प्यार सिर्फ आवाज़ या शब्दों का मोहताज नहीं; खामोशी और एहसास भी रिश्ते की सबसे गहरी भाषा हो सकते हैं।

असली प्यार रोकने नहीं, बल्कि आगे बढ़ाने और सपनों को पूरा करने का नाम है।

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