एक ठंडी शाम के बाद”

STORY

“एक ठंडी शाम के बाद”

जय 28,शांत, किताबों से प्यार करने वाला एक फोटोग्राफर। उसकी दुनिया तस्वीरों और उन कहानियों से भरी है जो उसने कभी जिया नहीं।
नेहा 26,रंगों और संगीत से जीवंत, एक कॉफी-शॉप में बेकरी-मैनेजर उसके चेहरे पर हमेशा छोटी-सी चमक रहती है, पर आँखों में एक गहरी उदासी भी है।

सीन 1 पहला मिलन

सर्दियों का एक शाम। जय बूंद-बूंद बरसात से बचते हुए एक छोटी किताबों और कॉफी वाली दुकान के अन्दर आता है उसकी कैप पर हिल्ट की तस्वीरें, हाथ में पुराना कैमरा। नेहा कैश काउंटर पर खड़ी है, हँसी में किसी ग्राहक को चिढ़ाते हुए। जय की नजरें उसके चेहरे पर ठहरती हैं नेहा का मुस्कुराना, पल भर में जम जाता है, जय की तस्वीर बनती है।
एक छोटी-सी गलती जय का कैमरा गिरता है, नेहा मदद करती है, कैमरे पर उसकी उंगलियों का हल्का स्पर्श, दोनों की पलटकर नजरें मिलती हैं और दोनों को अचानक अजीब सी गर्माहट महसूस होती है।

सीन 2 दोस्ती की शुरुआ

जय रोज़-रोज़ उस कॉफी-शॉप में आता है “किताब + कॉफी” उसकी आदत बन जाती है। नेहा उसे अपने छोटे-छोटे किस्से सुनाती है गाना बनाना, बचपन की कहानी, और क्यों अचानक वह शहर आई थी। जय अपने फोटो-शूट की कहानियाँ दिखाता है एक पुरानी रेलगाड़ी, एक तिजोरी में बंद चिठ्ठियाँ। धीरे-धीरे बातचीत गहरी होती है; हर शब्‍द के साथ उनकी दूरी घटती जाती है।

सीन 3 अतीत का झरोखा

एक रात नेहा ने जय को बताया कि वह अपने गाँव से भागकर आई थी वहाँ उसकी माँ की बीमारी और एक अफसोस था: नेहा ने एक दिन अपने पहले प्यार अनील से बिना बोले सुलह नहीं की। अनील ने जाने के बाद नेहा ने संगीत छोड़ा, और शहर आकर छोटी-छोटी खुशियों में खुद को जोड़ लिया। जय ने भी एक राज़ बताया: उसकी एक एक्स-गर्लफ्रेंड थी जो अपने रास्ते चली गई, और जय ने तस्वीरें खींचना शुरू कर दिया ताकि बातें तस्वीरों में सुरक्षित रहें। दोनों ने अपना दर्द साझा किया एक दूसरे के लिए भरोसे की एक सीढ़ी बनती हुई।

सीन 4 प्यार का उभरना

एक महीने बाद, जय ने नेहा के लिए एक फोटो-एलबम बनाया “छोटी-छोटी शामें” जिसमें उसकी हर हँसी, उसका हर झुकाव, कॉफी की उगली-छाप शामिल थी। नेहा यह देखकर भावुक हो जाती है। वहीं नेहा ने जय के लिए एक गाना लिखा, धीरे-धीरे यह गाना जय की पसंदीदा आवाज बनता है। दोनों का रिश्ता प्यार में बदलता है पर दोनों भी जानते हैं कि उनका अतीत अभी भी खामोश साए की तरह है।

सीन 5 ब्रेकिंग प्वाइंट

एक दिन नेहा के गाँव से अचानक एक फोन आता है माँ की तबियत बिगड़ी है। नेहा को गाँव लौटना होगा; पर गाँव में उसका सामना अनील से होगा जो अब शहर लौट आया है और पिछले पलों का हिसाब माँगता है। नेहा उलझ जाती है: क्या वह अतीत का सामना कर सकेगी? जय ने सहानुभूति दिखाते हुए उसे कहा, “तुम जाओ, मैं यहाँ रहकर इंतजार करूँगा।” पर दिल में डर था कि शायद नेहा चली जाएगी।

सीन 6 गाँव और पुरानी यादें

नेहा गाँव लौटती है। अनील के साथ मुलाक़ात तड़क-भड़क नहीं पर पुरानी बातें तेज़ हो जाती हैं। अनील कहता है कि उसने नेहा का इंतजार किया, पर नेहा नहीं चाहती कि कोई उसकी ज़िन्दगी का फैसला उसके अतीत के दोषों से करे। नेहा की माँ की बीमारी का इलाज गाँव के पास के शहर में बेहतर है और नेहा को समझना होता है कि उसे क्या चाहिए: जो शांति उसने शहर में पाई थी या अनील के साथ पुराने वादे?

सीन 7 जय का संघर्ष

जय शहर में इंतज़ार करता है पर उसके दिल में असमंजस बढ़ता है। वह फोटो-शूट करके खुद को संभालने की कोशिश करता है पर तस्वीरों में नेहा ही नज़र आती है। एक दिन जय ने फैसला किया कि वह नेहा के गाँव जाएगा पर उससे पहले नेहा के लिए उसने एक आख़िरी तस्वीर बनायी एक खाली चेयर पर नेहा की छाया, और एक नोट: “जहाँ तुम हो, वही मेरी तस्वीर पूरी है।”

सीन 8 निर्णायक मोड़

गाँव में, नेहा ने अपनी माँ की देखभाल करते हुए अपने अंदर की आवाज़ सुनी उसने महसूस किया कि उसे आज जो शांति मिली है, वो जय के साथ ही संभव है क्योंकि जय ने उसे ज़रूरत से ज़्यादा सम्मान और आज़ादी दी थी। नेहा ने अनील से साफ़ कह दिया कि वह अपने अतीत की कड़वाहट लेकर आगे नहीं जाना चाहती; उसे जय के साथ अपना नया कल चुनना है।

सीन 9 वापसी और सच्चा प्यार

नेहा शहर लौटती है; जय स्टेशन पर खड़ा मिलता है बारिश की फुहारे, दोनों की आँखों में वही पुरानी नर्म मुस्कान। वे लंबी चुप्पी के बाद एक दूसरे को गले लगा लेते हैं। नेहा जय को बताती है कि वह अपने साथ जो भी बोझ लेकर आयी थी उसे छोटे-छोटे कदमों में दूर करना चाहती है; और जय बताता है कि उसकी तस्वीरों में अब केवल यादें नहीं, भविष्य की उम्मीदें भी बस गई हैं।

सीन 10 अंतिम भाव

फिल्म का क्लाइमेक्स छोटा और स्नेहिल है: नेहा और जय मिलकर एक छोटी सी बुक-कोफी-स्पेस खोलते हैं जहाँ लोग अपने दर्द और खुशियों को बाँटते हैं। नेहा फिर से संगीत के छोटे-कैमियो देती है और जय अपनी तस्वीरों की एक प्रदर्शनी लगाता है जिसका शीर्षक होता है “एक ठंडी शाम के बाद”। आख़िरी सीन में दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखते हैं, कैमरा पीछे हटता है, और बाहर की सर्द हवा में दुकान की खिड़की पर लिखी हुई एक छोटी पंक्ति नज़र आती है: “कहानी खत्म नहीं होती वह बस बदल जाती है।”

टोन और थीम

फिल्म सधी-सी, धीमी पर भावनात्मक है; बड़े नाटकीय तकरारों से बचती है और छोटे-छोटे पल (एक स्पर्श, एक तस्वीर, एक गाना) के माध्यम से प्यार दिखाती है।

थीम: पारस्परिक सम्मान, सामना करना, और अतीत से सीखकर नए मौके चुनना।

विजुअल: ठंडी शामें, बरसात के शॉट, हल्की-सी नारंगी लाइटिंग, पुराने कैमरे और नोटबुक,सभी छोटे-छोटे आइकॉनिक सिनेमैटिक तत्व।

SLIONRAJA STUDIO